tag:blogger.com,1999:blog-3510845354215608836.post722186009340572307..comments2024-03-28T02:40:51.341-04:00Comments on திருக்குறள் - திருவள்ளுவர்: காலமறிதல்Thirukkuralhttp://www.blogger.com/profile/07661601135345192684noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3510845354215608836.post-1556775439798689212016-02-27T15:21:58.523-05:002016-02-27T15:21:58.523-05:00समय का पहचान --४८१ से ४९० --तिरुक्कुरल
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कौ...समय का पहचान --४८१ से ४९० --तिरुक्कुरल <br /><br />१, <br />कौआ अपने से बलवान उल्लू को दिन में हरा देगा। <br />इसलिए दुश्मनों को हराने समय का पहचान जरूरी है। <br />२ <br />काल या ऋतू जानकर उसके अनुसार चलना ,<br /> सफलता को रस्सी में बाँधकर अपने साथ ले चलने के समान है। <br />३.<br />उचित औजारों को पास रखकर काम करने पर असंभव काम कोई नहीं है.<br />४.<br />उचित समय और काल पहचानकर काम करें तो संसार हमारे मुट्टी में आ जाएगा। <br />५. <br />संसार को जो अपने वश में करना चाहते हैं ,<br />वे उचित अवसर और काल की प्रतीक्षा में रहेंगे। उचित समय तक सब्रता दिखाएँगे।<br />६.<br />साहसी और हिम्मती दबकर रहने का मतलब है,<br />वह उचित समय की प्रतीक्षा में है। <br />वह ऐसा हैकि भेड जैसे अपने शत्रु पर आक्रमण करने पीछे जाता है। <br />७.<br />बुद्धिमान और चतुर अपने क्रोध को बाहर नहीं दिखाएँगे। <br /> वे तब तक सब्रता से रहेंगे ,जब तक उचित समय नहीं आता। <br />८. <br />शत्रु को देखकर सहनशील बनना है; उचित समय आने पर शत्रु का सर लुढ़केगा। <br />९. <br />जब दुर्लभ समय मिलता है ,उस समय को न खोकर ,<br /> असंभव काम को कर देना चाहिए। <br />१०. <br />१०. उचित समय आने तक हमें बगुला भगत बन जाना चाहिए. ananthakohttps://www.blogger.com/profile/03838884586303164823noreply@blogger.com